Aantarik Shantitun Vishwashantikade

₹140

184Pages
AUTHOR :- Sirshree Tejparkhi
ISBN :- 9788177866827

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Description

शांतता नांदण्यासाठी, निर्णय घेताना,
समस्येचं निराकरण करण्यापूर्वी म्हणा, ‘
गुड मॉर्निंग पीस’
विश्वशांतीसाठी महत्त्वपूर्ण दहा पर्याय
• शक्तिशाली जीवनाच्या निर्मितीसाठी सर्वप्रथम शांतीला प्राधान्य द्या.
• जे लोक हृदयातून मार्गदर्शन घेतात, त्यांनीच विश्वाला मार्गदर्शन द्यावं.
• युद्ध आणि आतंकवाद नष्ट करण्यासाठी प्रथम आपल्या हृदयात शांती प्रस्थापित करा.
आपल्याला शांती आणायची नाही तर शांतीच शांतता प्रस्थापित करेल.
• इतरांना समस्या मानणे हीच एकमात्र समस्या आहे.
• विश्वाला आज नव्या धर्माची गरज नसून एका नवीन धाग्याची आवश्यकता आहे, जो सर्व धर्मांना एकत्र गुंफेल..
• ‘माझा देशही महान आहे’ हा विचारदेखील विश्वयुद्ध रोखू शकतो.
• हृदयाची शिकवण हेच शिकवणुकीचं हृदय आहे.
• आजची स्त्रीशक्तीच शांती आणि शक्तीचं संतुलन आहे.
विश्वात शांती प्रस्थापित व्हावी म्हणून मंदिर-मशिदीसाठी भांडण्याऐवजी मानवतेच्या शाश्वत मंदिराचं निर्माण होण्याची गरज आहे. नवनवीन तंत्राचा उपयोग करून प्रत्येक ठिकाणी, एकाच धर्माचं नव्हे तर सर्व धर्मांचं मंदिर बनायला हवं. त्यानंतर… रविवारी त्याचं स्वरूप चर्चप्रमाणे तर सोमवारी हिंदूंच्या मंदिराप्रमाणे… मंगळवारी तेच जैनांचं तर बुधवारी बौद्धांचं… गुरुवारी शिखांचं गुरुद्वारा तर शुक्रवारी मशीद….आणि शनिवारी ते यहुदींचं सिनागॉग असेल… असं आश्चर्यचकित करणारं शाश्वत मंदिर पाहून विश्वात निश्चितच परिवर्तन घडेल. केवळ एक बटण दाबण्याचा अवकाश की मंदिराचं रूपांतर मशिदीत!…

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About Author

सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद वे अंतिम सत्य से दूर रहे। उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया, ताकि वे अपना अधिक-से-अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी, जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्म-साक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है, वह है—सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद वे अंतिम सत्य से दूर रहे। उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया, ताकि वे अपना अधिक-से-अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी, जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्म-साक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है, वह है—समझ (अंडरस्टैंडिंग)। सरश्री कहते हैं, ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है, लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आप में पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान-प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’ सरश्री ने दो हजार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सत्तर से अधिक पुस्तकों की रचना की है। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनूदित हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं।.

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